श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।
हनुमान चालीसा लिरिक्स स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखे हैं, जो कि रामायण के बाद सबसे प्रसिद्ध रचना है।
By your grace, one will go to the immortal abode of Lord Rama following Loss of life and continue to be dedicated to Him.
भावार्थ – हे महाप्रभु हनुमान जी! संसार के जितने भी कठिन कार्य हैं वे सब आपकी कृपामात्र से सरल हो जाते हैं।
व्याख्या – रोग के नाश के लिये बहुत से साधन एवं औषधियाँ हैं। यहाँ रोग का मुख्य तात्पर्य भवरोग से तथा पीड़ा का तीनों तापों (दैहिक, दैविक, भौतिक) से है जिसका शमन श्री हनुमान जी के स्मरण मात्र से होता है। श्री हनुमान जी के स्मरण से निरोगता तथा निर्द्वन्द्वता प्राप्त होती है।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥
व्याख्या – श्री हनुमान जी कपिरूप में साक्षात् शिव के अवतार हैं, इसलिये यहाँ इन्हें कपीश कहा गया।
The authorship in the Hanuman Chalisa is attributed to Tulsidas, a poet-saint who lived inside the 16th century CE.[10] He mentions his name in the final verse on the hymn. It is said during the 39th verse on the Hanuman Chalisa that whoever chants it with complete devotion to Hanuman, should have Hanuman's grace.
“He whoever reads these verses on Hanuman, he will get spiritual attainments, Lord Shiva will be the witness to this assertion.”
The king of the gods, Indra, responds by telling his wife the residing read more remaining (monkey) that bothers her will be to be seen as a pal, Which they must make an effort to coexist peacefully. The hymn closes with all agreeing that they need to arrive jointly in Indra's household and share the prosperity of your choices.
सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥ राम दुआरे तुम रखवारे ।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥
आप सुखनिधान हैं तथा सभी सुख आपकी कृपा से सुलभ हैं। यहाँ सभी सुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख तथा परम सुख से है। परमात्म प्रभु की शरण में जाने पर सदैव के लिये दुःखों से छुटकारा मिल जाता है तथा शाश्वत शान्ति प्राप्त होती है।
◉ श्री हनुमंत लाल की पूजा आराधना में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और संकटमोचन अष्टक का पाठ बहुत ही प्रमुख माने जाते हैं।
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